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रविवार, 16 मई 2010

हमारा धुरंदर बड़ा सिकंदर ............बाकी इसके आगे लगते बंदर........ मैंने गलत कहा क्या?

जिस दिन भारत की धोनी और धुरंदरो से सजी टीम ने देशवासियों को ट्वेंटी ट्वेटी वर्ल्ड कप  सेमी फ़ाइनल में न पहुँच कर  निराश किया उस दिन एक सुख देने वाली घटना यह थी की भारतीय शतरंज खिलाडी विशव्नाथन आनन्द  ने एक बार फिर ये साबित करते हुए की क्यों उन्हें शतरंज का शहंशाह कहा जाता हैं, फिडे विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीतकर देशवासियों को खुशी दी. उन्होंने वेसलीन टोपोलोव को मात दी.
एक तरफ धोनी जैसे कप्तान और क्रिकेट जैसे खेल ने निराश किया वही पर इस महान खिलाडी जो २००७ में भी  ये कारनामा कर चुके हैं , ने भारत की इज्जत रखी और सबसे बड़ी बात ये हैं कि जिस जगह पे ये फ़ाइनल होना था उस जगह पे पहुँचने के लिए बाय पलेंन की कुछ दिक्कत हुई तो भी इस महानं  खिलाडी ने लगातार  चालीस घंटे का सफर बाय रोड तय करने के बाद ये सफलता हांसिल की.

और इक तरफ धोनी और क्रिकेट की टीम जिनको आई पी एल की पार्टियों से ही फुरसत थी, ने जब देश के लिए खेलने की बारी आई तो सारा कबाडा कर दिया.
कितना पैसा इस खेल में खर्च होता हैं . और परिणाम वोही ढाक के तीन पात .

भारतीय होकी टीम ने भी संयुक्त विजेता बनकर अजलान शाह होकी चैम्पियन शीप का स्वाद चखा.
होकी के गिरते हुए स्तर के लिहाज से ये भी एक बड़ी कामयाबी हैं .

तो क्यों हुआ न आनंद इन सभी बंदरों पे सिकंदर .

2 टिप्‍पणियां:

  1. आप और गलत ? हो ही नहीं सकता , आप बिलकुल सही कह रहे है ! देश के सारे खेलों को निगलजाने वाला यह अंडरवल्ड पोषित क्रिकेट इस देश के लिए अभिशाप है खेल नहीं ! इसका जितनी जल्दी हो सके देश को बहिष्कार करना चाहिए !

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