आज सुबह मौसम काफ़ी खुशगवार हो गया . सुबह जैसे तैसे भीगते भीगते कुरुक्षेत्र विशवविद्यालय पहुंचा . हैरत की बात ये हैं की कुरुक्षेत्र में बरसात नही हैं केवल विशवविद्यालय के आसपास ही बारिश हो रही हैं . अभी तो नये हैं भाई इस जॉब में . जो भी हो समय पे तो पहुंचना ही पड़ेगा .
फिर देखते हैं कब तक सरकारी की मोहर लगती हैं हमारी आदतों पर भी . कौशिश तो करेंगे भाई की ये रंग ना चढ़े .
और ब्लॉग से फिर से जुड़कर काफ़ी अच्छा लग रहा हैं.
फिर से अपने ब्लॉग जगत के दोस्तों से विचारों के आदान- प्रदान का इच्छुक हूँ.
समय कम हैं लेकिन कौशिश करूँगा की ज्यादा से ज्यादा कमेन्ट करू अपने दोस्तों के लेखो और कविताओ पर .
इसी सोच के साथ
आज के लिये सिर्फ इतना ही.
आपका
संजीव राणा
हिन्दुस्तानी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की याद दिला कर तो आप हमें कई साल पीछे ले गए. मैं भी वाहन था नब्बे के दशक में. वहाँ बिताया एक एक पल नहीं भूलता. क्या जगह है और कितने अच्छे लोग.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में आपका फिर से स्वागत है।
जवाब देंहटाएंराणा जी लोग सरकारी नोकरी मिलने पर आदमी ना बनकर सांड बन जाते हैं. बस इसका ख्याल रखियेगा.
जवाब देंहटाएं@vichaar shoonya ji
जवाब देंहटाएंkoi baat nhi h
ham saand nhi banege kabhibhi
संजीव भाई, आपका ब्लॉग जगत में एक बार फिर से बहुत स्वागत है......
जवाब देंहटाएंग्लोबल वार्मिंग को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।बारिश होना ठीक ही है।
जवाब देंहटाएंबहुत स्वागत है आपका... इन्तजार पूरा हुआ.
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