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शुक्रवार, 19 मार्च 2010

ये तो आस्था की बात हैं .........

ये तो आस्था की बात हैं .........

अभी  कुच्छ समय पहले ही एक ब्लॉग पर एक रोचक जंग देखि की कौन सा धरम बड़ा या छोटा हैं या फिर किस धरम में क्या खामी हैं
मुझे वो सब देखकर सच पूछिए तो मजा भी आ रहा था और गुस्सा भी
मजा इसलिए की ये समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या चाहते हैं 
कोई कह रहा था की हिन्दू धरम में ये खामी हैं या इस्लाम में ये खामी हैं
मेरा मानना हैं की कीसी के धरम में कुछ  खामी नही हैं 
खामी हैं तो उसे अपनाकर उसका गलत इस्तेमाल करने वालो में ?
सिर्फ मुझे तो एक बात का पता हैं की कीसी का धरम ये नही सीखाता की कीसी से नफरत करो .
क्या कभी कीसी पेड़ को छाया देते वक़्त ये सोचते देखा हैं की में इस बन्दे को क्यों दू ये तो फला धरम  से हैं 
क्या सूर्य को भी ऐसे ही करते देखा हैं नहीं ना
बात सिर्फ इतनी सी हैं की धरम जोड़ना सीखाता हैं न की तोडना 
अगर तोड़े तो वो धरम नही वैसे भी धरम इंसान को रास्ते पे लाने के लिए बनाये गए हैं की जब कभी भी वो गलत चलने लगे तो वो उसका मार्गदर्शन कर सके .

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