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शनिवार, 20 मार्च 2010

किसी भी देश की पहचान उसके जागरूक नागरिको से होती हैं ........

कोई देश  तब तक  आगे नही बढ़ सकता जब तक उसके नागरिक कर्मठ होकर उसके मान और सम्मान के  बारे में लगातार प्रयास ना करे.
जिस तरह से घर में माताजी या फिर श्रीमती जी चावल को देखने के लिए  कि क्या वो अच्छी  तरह से उबल गए  हैं, सिर्फ  दो या  चार दानो को उठाकर देख लेती हैं  और हर एक चावल को देखने की जरुरत नही पड़ती , ऐसे ही किसी देश के नागरिको को जानने के लिए ये जरुरी नही हैं कि  हर एक के घर जाकर पता किया जाये कि  वो कैसा हैं.
मै तो बस इतना कहना चाहता हूँ कि  जब हम किसी विदेशी से बात करते हैं या फिर हम कही बाहर होते हैं तो हमारा जैसा आचरण होगा उससे हमारे रहने के स्थान के बारे में दूसरो को पता चलेगा . हम बचपन से सुनते आ रहे हैं की फलां देश में गए हमारे बन्दे के साथ वहा के नागरिक ने ऐसा किया और हम सीमा बना देते हैं की वहा मत जाना वहा तो ऐसे लोग हैं जो ऐसा करते हैं.
आजकल ये टीवी के जरिये भी काफी प्रचार  किया जा रहा हैं कि  अतिथि देवो भव: . 
ये कोई आज की बात नही हैं हमारी संस्कृति में तो ये  शुरू से ही विद्यमान हैं.
पर फिर भी आज इन सब बातो की जरुरत महसूस हो रही हैं.
अतः आप सभी से सिर्फ ये गुज़ारिश है की जब कभी भी आप किसी से बात करते हो तो ये ख्याल जरुर रखना की उन बातो  का ना सिर्फ उस व्यक्ति पे बल्कि हमारे देश पर भी फर्क पड़ता हैं
और कम से कम एक आम नागरिक ये तो कर ही सकता हैं देश के लिए.
क्यों मैंने गलत कहा क्या कुछ. .  
अब मै आप को कुछ बताना चाहता हूँ कि  क्यों मुझे ये सब लिखने की जरुरत पड़ी.
ये करीब दो साल पहले की बात हैं. आपने आजकल न्यूज़ में भी सुना होगा कि  कैसे एक भारतीय डॉक्टर  ने अफगानिस्तान में लगे इन्द्रागांधी अस्पताल कंप में रहने वाली एक अफगानी ट्रांसलेटर सबीरा नाम की यूवती से शादी  की.  कुछ दिनों तक उसके साथ रहने के बाद वो उसे वही पे छोड़कर इंडिया आ गया.
सबीरा के घर वालो ने उसका साथ दिया और उसने इंडिया आकर उस डॉक्टर पर तीन केस किये जिनमे से दो केस वो जीत चुकी हैं और एक केस अभी चल रहा हैं.
सबीरा भारतीय कानून और यहाँ के नागरीको के प्रति  खुश हैं और कहती हैं कि  भारतीय कानून में उसकी पूरी श्रधा   हैं और वो तब तक यहाँ लडती रहेंगी जब तक उसे पूरी तरह न्याय नही मिल जाता.


देखा आपने कि  कैसे किसी की व्यक्तिगत गलती के कारण एक पूरे देश को शर्मशार होना पढ़ जाता हैं.

9 टिप्‍पणियां:

  1. एकदम सही कहा आपने, मगर ये कुछ जो इस देश पर काले दाग की तरह है उनका किया भी तो कुछ नहीं जा सकता अब !

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  2. बिलकुल सही कहा आपने. ऐसे कुपातर ही तो समाज में सडन बड़ाते है.

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  3. dekhiye arabon logon ka yah desh hai. isme koi ek ad to kachha chawal milega hi. ap apani is baat par bhi to dhyan den ki vah afgani stri hamere desh ke logon aur hamare kanun ke prati kya rai rakhati hai. asal cheehj to vo hai. dekha ye jana chahiye ki hum samuhik rup se kaise hain. ikka dukka mamlon ko to nazaandaj bhi kiya ja sakta hai haa par esi ghatnaye badani nahin chahiye.

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  4. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

    अच्छा लेख है, बस वर्तनी की गलतियां अवश्य महसूस होती हैं
    उम्मीद है आने वाले लेख आदि में ऐसा नहीं होगा.

    आप शायरी के ब्लॉग जज़्बात पर भी आमंत्रित हैं...
    शुभकामनाओं सहित

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  5. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  6. स्वागत,

    अच्छा लिखा है, आशा है आगे भी आप के लेखन से ब्लॉग जगत लभान्वित होता रहेगा ।

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  7. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।

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  8. vichaar soonya ji aapse mein poori tarah sahmat hu lekin agar hum apne satar par paryaash kare to in baaton me kuch kami to la hi sakte hai na.

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