बुजुर्गो का सम्मान करे क्योंकि एक दिन आप को भी बुजुर्ग होना हैं.
श्याम सुंदर जी को इस बात का अफ़सोस हैं कि उनका लड़का मोहन उनकी बात नही सुनता हैं.
रामचंद्र जी को खाली घर काटने को दौड़ता हैं.
शिवराम जी को इस बात का ख्याल सताता हैं कि भरा पूरा परिवार होने के बावजूद भी उनका दिल इतना तन्हा क्यों हैं.
ये सब बातें सुनने में तो बहुत आसान लग रही हैं. लेकिन कभी इन सब के बारे में जरा गहराई से सोचकर तो देखो .
जरा इस बात का अहसास करके तो देखो कि हम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं और वो हमसे बोलना भी पसंद ना करे तो हम पर क्या बीतेगी .
वैसे भी कहते हैं कि शादी के बाद घरवालो के बजाये अपनी श्रीमती जी ज्यादा अच्छी लगती हैं और जब बच्चे हो जाये तो उनपर तो श्रीमती जी से भी ज्यादा प्यार आने लगता हैं. कई बार तो जितने भी झगडे हो तो सहमती बच्चो के कारण ही बन पाती हैं. ये तो रहा यहाँ तक का सफ़र , अब जरा सोचिये जब उन बच्चो कि शादी हो जाती हैं तो प्रकर्ती का नियम , दोबारा वही बात वहीँ से शुरू हो जाती हैं. लेकिन अब अगर वो बच्चे जिन्हें हम अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं और जिनकी एक छोटी सी दर्द भरी आवाज से हम पूरी रात नही सो पाते थे अगर अब वो हमसे बोलना भी पसंद ना करे तो हम पे क्या गुजरेगी.
हाँ ये बात जरुर होती हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी सोच में बदलाव आता जाता हैं . और आज हम अपने आप को अपने माता- पिता से ज्यादा समझदार मानते हैं , कल हमारे बच्चो के साथ भी तो यही होना हैं. ये भी सोचकर चलिए.
किसी ने सही कहा हैं कि
"जवानी जाकर आती नही हैं और
बुढ़ापा आकर जाता नही हैं "
वो कंधे जो हमें हमेशा ऊपर उठाने के लिये तैयार रहते थे क्या आज हम सिर्फ उनसे प्यार से बात भी नही कर सकते ?
ये हमेशा याद रखना कि उन्होंने हमें जन्म दिया हैं तो कम से कम हम उनसे ऊरीण तो ना हो .
उन्होंने आपको बचपन में संभाला तो आपकी भी जिम्मेदारी बनती हैं कि उन्हें बुढ़ापे में संभाले क्योंकि बुढ़ापा भी बचपन का दूसरा रूप हैं.
मुझे एक बात याद आ रही हैं जरा गौर करियेगा
" कल जब हम छोटे थे और कोई हमारी बात भी नही समझ पाता था तब सिर्फ एक हस्ती थी जो हमारे टूटे - फूटे अल्फाज भी समझ लेती थी , और आज हम उसी हस्ती को ये कहते हैं कि
(आप नही जानती )
(आप नही समझ पाएँगी)
(आपकी बात मुझे समझ नही आती )
(हो गयी अब आप खुश )
आप समझ ही गये होंगे कि में किस कि बात कर रहा हूँ.
तो इस सम्माननीय हस्ती का सम्मान करे इससे पहले कि देर हो जाये.
"शख्त रास्तो में भी आसान सफ़र लगता हैं
ये उसे माँ कि दुवाओ का असर लगता हैं
एक मुद्दत से उसकी माँ नही सोई जब
उसने कहा था कि 'माँ मुझे डर लगता हैं"
बस सोच लेना जैसा अपने माता - पिता के साथ करोगे तो आप के बच्चे भी तो आप से ही सीखते हैं , वो भी वैसे ही करेंगे .
तो क्यों ना उनको अच्छी सीख दे अपनी अच्छी बातों से .
और उन्हें बुजुर्गो कि सेवा और प्यार करना सिखाये .
आगे चलकर ये आपके मान सम्मान कि बात होगी.
कुच्छ समय घर में बुजुर्गो के साथ अवश्य बिताये .और फिर देखना उनके प्यार और दुवाओ कि आप पर कैसे अच्छी बरसात होती हैं
संजीव राणा
हिन्दुस्तानी
बुजुर्गों का सम्मान करें एक दिन आपको भी बुजुर्ग होना है। बहुत अच्छी बात लिखी है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंविषय अच्छा है,वस्तु और निखार सकते हो आप श्रीमान!
जवाब देंहटाएंलगे रहो....
कुंवर जी,
ये भी पढ़ें - बुजुर्गो को भी दें सम्मान - Give respect to the elderly, in Hindi
जवाब देंहटाएं