कुछ चुनिन्दा शेर-ओ-शायरी हो जाए आज.
तो लीजिए पेश हैं कुछ चुने हुए शेर .
संजीव राणा की पसंद के.
और आशा करता हूँ की आपको भी पसंद आयेंगे .
हस्ती मिट गई आशिया एक सजाने में
उम्र बीत गई हाले दिल उनको सुनाने में
एक पल में ही वो बेगाने हो गए हैं देखिये
कई बरस लगे जिन्हें अपना बनाने में .
*
टूटे पैमाने में जाम नही आता
अ दिल तोड़ने वाले इतना तो सोचा होता की
टूटा हुआ दिल किसी के काम नही आता .
*
हमने बना लिया हैं फिर से नया आशियाना
जाओ फिर ये बात किसी तूफ़ान से कह दो
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इस तरह जीना है बहुत दुश्वार सा
तू भी तलवार सा, मैं भी तलवार सा
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अच्छा प्रयास है ...कम से कम लीक से हटकर कुछ तो है.
जवाब देंहटाएंइक नज़र यहाँ भी मार लीजिये
www.jugaali.blogspot.com
bhai waah tu bhi talvaar tha main bhi talvaar tha...
जवाब देंहटाएंएक शेर हमारी पसंद का भी.....
जवाब देंहटाएंकैसी चारागरी है इलाज कैसा है?
ज़हर देकर पूछते है है मिजाज़ कैसा है...
बहुत खूब
हटाएं@दिलीप जी चलो कम से कम आज तो आपकी नजर तो इस ब्लॉग पे पड़ी . स्वागत हैं आपका
जवाब देंहटाएं@ कुंवर जी आपका तो कोई सानी ही नही हैं .
@ संजीव जी आपका भी स्वागत हैं .
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जवाब देंहटाएंसूअर की चर्वी से तला न आ जाये,
जवाब देंहटाएंकीचड में सड़ा-गला न आ जाये !
शेरों को संभाल के रखना राणा जी,
फिर कोई जलाजला न आ जाये !
@गोदियाल साहब
जवाब देंहटाएंबात वही कहेंगे जो सच्ची हैं
क्या उनका कहना जो कच्ची हैं.
हो अगर तर्कसंगत बात तो स्वागत हैं जलजले का भी
वरना ऐसे लोगो की बजाये दो -४ से ही दोस्ती अच्छी हैं