khabre

मंगलवार, 25 मई 2010

कामचोर बेटो के युग में मेरा नाई ही हीरो हैं

बीच बजरिया हुई हमारी एक दास से भेंट
 बातें हुई बहुत सी लेकिन भरा नही पेट

हाथ पकड़ हमको अपने घर ले जा बैठाया 
तीन महान सपूतो से हमारा परिचय कराया 

पहला बेटा पी.एच.डी. करता हैं 
उसी में जीता, उसी में मरता हैं 

दूसरा ऍम. एस.सी. कर रहा हैं 
बहुत हैं समार्ट,
लेकिन करियर उसका अब तक हुआ नही स्टार्ट 

पढ़ लिखकर खाट को तोड़े इसके दोनों भाई 
घर का खर्चा चलाता हैं यह मेरा प्यारा नाई

इसकी कैंची के आगे उनकी डिग्री जीरो हैं 
कामचोर बेटो के युग में मेरा नाई ही सच्चा हीरो हैं 

7 टिप्‍पणियां:

  1. जो खिलाये वही दाता...

    राम राम जी,

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  3. इसकी कैंची के आगे उनकी डिग्री जीरो हैं
    कामचोर बेटो के युग में मेरा नाई ही सच्चा हीरो हैं
    This is the value of professional digree.

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  4. @गोदियाल साहब
    @सुमन जी
    @ विचार शून्य जी
    @कुंवर जी
    @ शाहनवाज जी
    आप सबका स्वागत हैं

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