khabre

गुरुवार, 13 मई 2010

जब हम छोटे बच्चे थे ...............और अब क्या से क्या हो गए ? आओ थोडा मनोरंजन कर ले


मस्त इन फिजाओं में घूमते थे.......... मतलब की हमें नही मालुम था की कहा जाना हैं और हम कहा जा रहे हैं . 










जेम्स बौंड हुआ करते थे............... मतलब किसी से नही डरते थे 









बस मौका मिलते ही सवार हो जाते थे  अपनी धूम बाइक पे ..........मतलब की अपने गडुलने पर 







हम एवरेस्ट पे भी चड जाया करते थे ...........................मतलब की दीवारों और मेज पर बिना डर के की चोट न लग जाए.






और आज हम इंजीनियरिंग और बड़े औहोदो पर हैं ..................मतलब की सारा दिन  अपने ऑफिस की कुर्सियों में घुसे रहते हैं बस.

























बिना किसी मजे की जिंदगी और बिना किसी  एन्जोय्मेंट के.
क्या जिंदगी हो गई हैं अब. सिर्फ टेंशन हैं पास में.

6 टिप्‍पणियां:

  1. "बिना किसी मजे की जिंदगी और बिना किसी एन्जोय्मेंट के.
    क्या जिंदगी हो गई हैं अब. सिर्फ टेंशन हैं पास में."

    sach me yaar!aisa hi hai ya tha jo bhi hai bas....

    kunwar ji,

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  2. खुद के लिए समय निकालिए और फिर से बच्चे बन जयी
    भैया काम से ब्रेक भी उतना ही जरुरी होता हैं जितना की काम

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  3. कागज़ की कश्ती, पानी का किनारा,
    खेलने की मस्ती, दिल ये आवारा,
    कहाँ पड़ गए इस समझदारी के दलदल में..??
    सीनाजोर है जवानी, नादान बचपन प्यारा,
    तो चलो फिर बच्चों से हो जाए

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  4. rana ji, kya baat hai, phoda.
    kagaz ki kasti aur barish ka pani yaad aa raha hai...

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